कविता

बादल का गुस्सा

बड़ी ज़ोर से आज रात
बादल को गुस्सा आया है
धुँअे की पिचकारी से किसने
उसको आज जगाया है

नसों में उठ रहा उबाल है
गुस्से से हो रहा लाल है
बिजली की तलवार खींचकर
खूब ज़ोर गुर्राया है

धरती कैसे हाँफ रही है
थरथर थरथर काँप रही है
उसके बेपरवाह बच्चों ने ही
आफत को यहाँ बुलाया है

सबक सिखायेगा अब बादल
बरसायेगा ना कोई जल
‘रो रो कर पछतायेंगे सब
कि पानी को तरसाया है

– शिप्रा खरे

शिप्रा खरे

नाम:- शिप्रा खरे शुक्ला पिता :- स्वर्गीय कपिल देव खरे माता :- श्रीमती लक्ष्मी खरे शिक्षा :- एम.एस.सी,एम.ए, बी.एड, एम.बी.ए लेखन विधाएं:- कहानी /कविता/ गजल/ आलेख/ बाल साहित्य साहित्यिक उपलब्धियाँ :- साहित्यिक समीर दस्तक सहित अन्य पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित, 10 साझा काव्य संग्रह(hindi aur english dono mein ) #छोटा सा भावुक मेरा मन कुछ ना कुछ उकेरा ही करता है पन्नों पर आप मुझे मेरे ब्लाग पर भी पढ़ सकते हैं shipradkhare.blogspot.com ई-मेल - shipradkhare@gmail.com