लघुकथा

मौका

नरेश ऑफिस में उससे मिलने आए अपने रिश्तेदार से बात कर रहा था।

“कहिए क्या हाल चाल हैं? सब ठीक है।”

“ठीक ही है सब। बस मयंक की फिक्र होती है। उसी सिलसिले में तुमसे मिलने यहाँ आया था। तुम देख लो अगर अपने ऑफिस में कोई काम दे सको।”

नरेश कुछ सोंचने लगा। उसे सोंच में पड़ा देख कर उसके मेहमान ने कहा।

“भइया गलती तो इंसान से ही होती है। कुछ देर के लिए वह राह भटक गया था। पर सुबह का भूला गर शाम को लौट आए तो उसे माफ कर देना चाहिए।”

नरेश ने इंटरकॉम पर दो कप चाय भिजवाने का आदेश देने के बाद कहा।

“मुझसे जो हो सकेगा ज़रूर करूँगा।”

कुछ ही देर में ऑफिस ब्वाय चाय लेकर आया। नरेश के मेहमान ने उसे ध्यान से देखा। ऑफिस ब्वाय के जाते ही वह बोले।

“शायद तुम नहीं जानते। यह जेल की सज़ा काट चुका है। इसका हिसाब कर दो।”

उनकी बात सुनकर नरेश बोला।

“जानता हूँ। पर वह भी शाम होते ही घर लौट आया है।”

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है