कविता

होली

न या पिचकारी न वा पिचकारी
होली म अबकी चलइबे दुधारी

खाली तिजोरी पीएनबी की करिगें
सगल बोझ मोदी के काँधें म धरिगें
सफाई के अभियान के बनिगें अगुवा
रंगारंग खुद होइके नीरव निकरिगें

बड़े बोल वालेन की बोली न निकरै
गले मा फँसी है य हड्डी उधारी

होली म अबकी चलइबे दुधारी…

मिले एक जन उनके खुब रँग लगावा
हरा रंग चुपरा केसरिया चलावा
जइसे रहैं तइस निकरे महाशय
ऊपर न उनके तनिक फर्क आवा

पीछे से पी.के. कहिन ई हैं पप्पू
चीकन घड़ा से मशीनौ है हारी

होली म अबकी चलइबे दुधारी…

दिल्ली के सी एम का रंगै उतरिगा
मफलर झूठाई का कोने म धरिगा
सबहीं विधायक शिकंजे म फँसिगे
पजावा सगल इनका खंझर निकरिगा

जनता कहै फिर न निकरै नमूना
अन्ना हजारे के फिर पाँव भारी

होली म अबकी चलइबे दुधारी…

वादा  रहै  खाय  देबे  न  खइबे
गुझिया रोजगार वाली खवइबे
होली विकासै के साथे मनी अब
विदेशन से रँग काला वाला मँगइबे

जनता का टूटै न अबकी भरोसा
अच्छे दिनन की कटै इंतजारी

होली म अबकी चलइबे दुधारी…

                        
                             प्रवीण ‘प्रसून’
   

प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

नाम-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' जन्मतिथि-08/03/1983 पता- ग्राम सनगाँव पोस्ट बहरामपुर फतेहपुर उत्तर प्रदेश पिन 212622 शिक्षा- स्नातक (जीव विज्ञान) सम्प्रति- टेक्निकल इंचार्ज (एस एन एच ब्लड बैंक फतेहपुर उत्तर प्रदेश लेखन विधा- गीत, ग़ज़ल, लघुकथा, दोहे, हाइकु, इत्यादि। प्रकाशन: कई सहयोगी संकलनों एवं पत्र पत्रिकाओ में। सम्बद्धता: कोषाध्यक्ष अन्वेषी साहित्य संस्थान गतिविधि: विभिन्न मंचों से काव्यपाठ मोबाइल नम्बर एवम् व्हाट्सअप नम्बर: 8896865866 ईमेल : praveenkumar.94@rediffmail.com