सुन रहा आसमां
वाचिक स्रग्विणी छंद ============= सुन रही है जमीं, सुन रहा आसमां। प्रेम की बात को, बुन रहा आसमां।। तुम चली
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Read Moreप्रेम फागुनी मन के उत्सव में भीगता रहे ! .. रंग गुलाल चले भंग के संग मचाते शोर ! ..
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