कविता

वाह रे मानव

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यहां मानव दानव बना बैठा है अपने ओछे संस्कारों से,
कुचल डालता है उभरते हुनर को अपने अहंकारो से।

करते नहीं थकते तारीफ ये चापलूस बड़े घरानों के,
गाते हैं गीत वही जो पसंद आये बड़े चौकीदारों के।

बेच दिये बचपन को हमने होटलों और दुकानों पर,
अतिक्रमण का गिरे गाज फुटपाथ के ठेली वालों पर।

खा सके गरीब – लाचार भी पकवान त्योहारों में,
तभी तो भगवान खुद बिक जाते है बाजारों में।

मगर यहां कोई समझने को तैयार कहा ज़माने में,
सभी मशरूफ हैं एक दूसरे की अवकात दिखाने में।

संजय सिंह राजपूत
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संजय सिंह राजपूत

ग्राम : दादर, थाना : सिकंदरपुर जिला : बलिया, उत्तर प्रदेश संपर्क: 8125313307, 8919231773 Email- sanjubagi5@gmail.com