लघुकथा

हर तरह से नई होली

रंगीले फागुन का रंगीला-रसभरा महीना आ चला था. कहीं से गुहार आ रही थी-

 

”भेदभाव को दूर हटाओ, छेड़ो तराना प्रेम का.

भाईचारे का गुलाल, मौज-मस्ती का गुलाल”.

 

आगे कुछ सुनने की उसमें न हिम्मत थी, न उसने ज़रूरत ही समझी. उसने 22 फागुन देख लिए थे. फागुन का रंगीला-रसभरा महीना उसके लिए कुछ भी रंगीला-रसभरा नहीं लाता था. बचपन से ही मां के साथ घर-घर झाड़ू-पोंछा-बर्तन करने वाली नीलम ने देखा था, वार-त्योहार के कई दिनों बाद बहुत अहसान के साथ सूखे लड्डू और कीड़े लगे ड्राइ फ्रूट का मिलना. बाहर जाकर उनको देख-सूंघकर फेंकना उनकी नियति बन गया था. गुझिया तो उसने आज तक नहीं चखी थी. किसी पर होली का रंग डालने का लुत्फ़ कैसा होता है, यह भी उसे नहीं मालूम था, अलबत्ता कई बार जबरन रंग से वह रंगी ज़रूर गई थी. इस बार वह नई-नवेली बहू बनकर रमेश के साथ नए शहर में आई थी. रमेश तो फैक्टरी में काम करने चला जाता था, नीलम ने सारा दिन अकेले घर में रहने के बजाय कुछ काम करना बेहतर समझा था, सो एक मेमसाहब के पास पार्ट टाइम मेड का काम शुरु कर दिया, उसी में मगन थी. लगन से काम करती नीलम को मेमसाहब भी दिलदार मिली थीं.

 

उन्होंने उसे बहुत-से काम सलीके से करना और काम-चलाऊ अंग्रेज़ी बोलना सिखा दिया था. अब उसे खाने-पीने के लिए भी तरसना नहीं पड़ता था. कभी-कभी घर के लिए भी उसे सुबह का बना ताज़ा खाना मिल जाता था. होली से कुछ दिन पहले ही मेमसाहब ने उसे बहुत बड़ा सुंदर-सा पैकेट पकड़ा दिया था. ”यह क्या है?” नीलम के मुंह से अनायास ही निकल गया था.

 

”अरे नई-नवेली बहू है, होली नहीं मनाएगी क्या? यहां तेरी मां या सास तो है नहीं, सो मैं ही अपनी बहू-बेटी के लिए होली का सामान लेने गई थी, तेरे लिए भी ले आई. तेरे और रमेश के लिए कपड़े हैं, रंग-गुलाल और मुंहं मीठा करने को थोड़ी-सी गुझिया भी हैं, बाकी तो हम होली पर घर में ही ताज़ी बनाएंगे.” नीलम भावाभिभूत होकर मुश्किल से ”थैंक्यू मेमसाहब” ही कह पाई.

बाहर निकलकर वह उमंग से होली के दिन रमेश के साथ होली खेलकर गाने वाला गीत गाती जा रही थी-

”मोपे जबरन रंग दियो डार, यशोदा तेरे ललना ने.”

 

HOLI -means

H— hate (घृणा)
O— out (बाहर)
L— (love) (प्रेम)
I– (in) (भीतर)
*होली* का अर्थ है नफरत और घृणा को बाहर निकालकर प्रेम करो।
आप सबको होली की शुभकामनाएं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “हर तरह से नई होली

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लघु कथा बहुत अछि लगी लीला बहन .नीलम के लिए तो यह दिन एक चमत्कार है .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको रचना बहुत सुंदर लगी. आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. नीलम के लिए तो यह दिन एक चमत्कार है. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    *होली* का अर्थ है नफरत और घृणा को बाहर निकालकर प्रेम करो।आप सबको होली की हार्दिक शुभकामनाएं.

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