होली की दस्तक
होली की दस्तक,
रंग गया मस्तक,
नहीं बच पाया
कोई अब तक।
रंगों में रंग गया,
सपनों में खो गया,
जिस पर रंग लगा
वो ही निखर गया।
कंही नगारे बजे,
कंही ढोल बजे,
किसी के चेहरे
पर बारह भी बजे।
कोई गिरा कोई फिसला,
यूंही चलता रहा सिलसिला,
रंगो का सज गया
खुबसूरत टीला।
कंही पटाखे फूटे,
किसी के बर्तन टूटे,
काले रंग से बचने
सब के पसीने छूटे।