कविता

क्या

 

जिंदगी का मुकाम क्या?
सच में मेरा यहाँ पर नाम क्या?
सब चिल्ला-चिल्ला कर प्रलाप करते
आखिर मेरी ही जबान पर लगाम क्या?

बंजर पर खड़े होकर पानी का विचार क्या?
कंगूरे पर बैठे मठाधीशों का आधार क्या?
जब मिलना ही है मिट्टी में,मिट्टी से आये थे
खामखा की ये जीत क्या?ये हार क्या?

दुश्मनों को भेद दे जो वो मेहमान क्या?
जहाँ परिवार रह ना पाये वो मकान क्या?
जायदाद के हिस्से होने लगे हैं अब
माँ को छोड़कर हिस्से में आये वो दुकान क्या?

 

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733