हास्य व्यंग्य

कंगाली में आटा गीला

वे भाग गए हैं। वे अपनी लुंगी धोती सब समेट के विदेश भाग गए हैं । आप कहते हैं कि अपनी एक एक पाई बसूल कर करेंगे । वे कहते हैं अपनी धोती भी न देंगे जाओ, जो करना है सो कर लो। ये दीगर बात है कि कर्ज़ेदारों की इज्जत बड़ी होती है शानों शौकत की नींव पर खड़े इज्जत के हवामहल इतने शानदार होते हैं कि मामूली लोगों की आंखें उन्हें देखने के लिए ऊपर नहीं उठतीं इसलिए वे निरापद ईट पत्थर के मामूली इज्जत के मकान बनाया करते हैं। इसीलिए उनकी सारी जिंदगी बस इसी एक तिकड़म बैठाने में गुजरती है कि ज़िन्दगी की गाड़ी को आखिर कैसे दौड़ाया जाए। वे जौहरी नहीं होते इसलिए जीवन की परख में भी कच्चे साबित होते हैं।

वे हीरे के जौहरी हैं इसलिये बखूब अपना हुनर जानते और पहचानते हैं। उनकी कसौटी पर कभी हीरा तो कभी आदमी चढ़ता है वे कर्ज भी वहां से खाते हैं जिसे चुकाना न पड़े । वे उधार लेकर घी पीना जानते हैं और आप मेहनत करके भी सुखी रोटी गटकना। वे शान से जीना जानते हैं और आप केवल शान दिखाकर ही खुश हो लेते हैं। वे लाखों के कपड़े पहनते हैं पर उफ्फ नहीं करते ,आप छोटे मोटे ब्रांड की जबतक पब्लिसिटी खुद को हीरो बनाते हुए न कर ले तब तक चैन से नहीं बैठते।

एकाएक देश में कर्जदार होना सभ्यता का प्रतीक बना है। हीरा व्यापारी,शराब व्यापारी, कपड़ा व्यापारी , अनाज व्यापारी,पेट्रोल व्यापारी,जो जितना बड़ा कर्जदार है वो उतना ही सभ्यता का प्रतीक है। ऐसे कर्जदार लोग इज्जत के पर्याय हैं । अब वे दिन गए जब आप एक कटोरी चीनी भी उधार मांगने में शर्माते थे। अब ज़माना है उधार पर चलिए बेधड़क चलिए एक आत्मविश्वास के साथ चलिए।ये आत्म विश्वास आपके चेहरे पर दिखना चाहिए कि दुनिया की रहीसी पर सिर्फ और सिर्फ आपका हक़ है। बाकी किसी का नहीं।

वे लोग मूर्ख होते हैं जो उधार की एक एक पाई व्याज समेत चुकाने में अपनी एड़ियां घिसा करते हैं। अपने रसूख के छेदों को गंभीरता का ताना- बाना बनाकर ढका करते हैं। वे ऐसी ऐसी मुद्राएं बनाकर समाज में उतरते हैं कि आप उनके सामने हाथ मिलाना तो दूर भरपूर मुस्करा भी नहीं सकते ,नहीं तो वे नाराज़ हो जाएंगे। अपनी सच्चाई वे ही जानते हैं और उसके सुराखों को छुपाने के तरीके भी वे ही जानते हैं और आप उनके बाह्य आडम्बर से बस भ्रमित होना भर जानते हैं।

छोटे और बड़े आदमी के अपने-अपने तरह के आडम्बर होते हैं। छोटा आदमी अपनी कमजोरी को छुपाने के लिए गंभीर होने का नाटक करता है जबकि रसूख वाला आदमी अपनी कमजोरी छुपाने के लिए बेइंतहा जिंदादिली से खुद को समाज में स्थापित करता है। वाचाल दोनों ही हैं। अभिनय दोनों ही करते हैं । मगर कोल्हू के बैल की सी ज़िन्दगी गुजरना छोटे आदमी की नियति है। इसलिए हीरे के जौहरी बनिये ,और दूसरों को बनाइये अपनी छद्म सहनशीलता दिखाकर। तभी आप ज़िन्दगी के मजे लूट सकते हैं।