स्वास्थ्य

छोटे बच्चों का स्नान

सभी माता-पिता अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित होते हैं। इसके लिए वे उनके लिए पौष्टिक भोजन की व्यवस्था करते हैं। उनका स्नान भी पौष्टिक भोजन की तुलना में कम महत्वपूर्ण नहीं है। यहाँ मैं छोटे बच्चों के स्नान की सही विधि बता रहा हूँ।

स्नान से पहले मालिश

बच्चों के सही शारीरिक विकास के लिए स्नान से पहले मालिश करना बहुत लाभदायक है। यदि बच्चा विद्यालय नहीं जाता या उसकी छुट्टी है तो स्नान से पूर्व उसकी मालिश अवश्य करनी चाहिए। मालिश रोज भी की जा सकती है, लेकिन सप्ताह में एक-दो बार अवश्य करनी चाहिए।

मालिश शुद्ध सरसों या नारियल या ज़ैतून के तेल से करनी चाहिए। सुहाती धूप में बच्चे को लिटाकर या बैठाकर उसके शरीर के सभी भागों की हल्के हाथ से मालिश करनी चाहिए। इसके बाद केवल १५ मिनट उसे धूप खाने दें। यदि धूप न हो तो मालिश कमरे में की जा सकती है।

मालिश के बाद स्नान

मालिश और धूप सेवन के बाद बच्चे को स्नान कराना चाहिए। स्नान के लिए जल शरीर के तापमान के लगभग बराबर हो। बच्चों के स्नान के लिए पानी गर्म कभी नहीं होना चाहिए, क्योंकि बच्चों की त्वचा बहुत नाज़ुक होती है।

स्नान के समय साबुन का प्रयोग नहीं होना चाहिए। यह बात गाँठ बाँध लीजिए कि कोई भी साबुन, चाहे वह किसी भी नामी से नामी कम्पनी का बना हो, बच्चों के स्वास्थ्य के लिए ज़हर के समान है। इसलिए बच्चों को किसी भी साबुन से नहीं नहलाना चाहिए।

सबसे अच्छा यह है कि आप किसी मुलायम तौलिए के टुकड़े को स्नान के जल से गीला करके उससे बच्चे के शरीर के हर भाग को एक-एक करके पूरा रगड़ें। इससे उनके शरीर की मालिश भी होगी और त्वचा के रोमछिद्र भी खुल जायेंगे। सिर को भी इसी तरह गीले तौलिए के टुकड़े से रगड़ा जा सकता है।

स्नान के समय बच्चों के गुप्तांग की सफाई करना अनिवार्य है। लड़कों के लिंग की खाल को पूरा पीछे करके उसके शिश्नमुंड की चारों ओर से सफाई करनी चाहिए ताकि उसमें मूत्र आदि का कोई जमाव न हो और बदबू न आये।

यदि लड़कों का लिंग पूरा नहीं खुलता, तो जहाँ तक खुल रहा हो वहीं पर चारों ओर सरसों का तेल लगाकर खोलने के लिए थोडा ज़ोर लगायें। इससे वह एक-दो मिलीमीटर खुल जाएगा। ऐसा करते समय बच्चा रोये तो रोने दें। वहाँ तेल लगाकर बन्द कर दें। दो दिन बाद फिर इसी तरह खोलें। ऐसा करते-करते चार-पाँच बार में ही उसका लिंग पूरा खुलने लग जाएगा।

बच्चियों की योनि की भी उँगली डालकर और गीले कपड़े से रगड़कर सफाई करें। उँगली के नाख़ून कटे हों इसका ध्यान रखें।

स्नान के बाद बच्चों को सूखी तौलिया से पौंछकर कपडे पहना दें। उनके चेहरे या शरीर पर कोई क्रीम या पाउडर कभी न लगायें। तेल मालिश और तौलिया से रगड़ने से ही त्वचा में चमक आ जाती है जो प्राकृतिक और स्थायी होती है।

लगभग ६ माह तक के बच्चों को किसी स्टूल पर लिटाकर स्नान कराना चाहिए। इससे बड़े बच्चों को स्टूल पर बैठाकर नहलाना चाहिए। जब बच्चा लगभग ८ साल का हो जाये, तो उसे स्वयं स्नान करना सिखाना चाहिए।

विजय कुमार सिंघल
चैत्र कृ ७, सं २०७४ वि (८ मार्च २०१८)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com