गीतिका/ग़ज़ल

जिंदगी

प्यार की रुसबाइयाँ भी अजीज लगने लगी
जाने क्यों नफरत की आदत सहज लगने लगी

न लिखने का दिल करता है न पढ़ने का
हर वक़्त दिल को बगावत की बू आने लगी

कभी बरसती थी प्यार की बरसातें जमकर
क्या हुआ जो बूंदों को भी जिंदगी तरसने लगी

मैकदा तो नहीं थी उसकी प्यार भरी बातें
क्यों सुबहो शाम जिंदगी इस कदर बहकने लगी

माना कि दिल खाली जाम है उल्फत का
क्यों बेबसी प्यार की दिल को जलाने लगी

काश ………..
होता दिल भी एक आईना अदावत का
जाने क्यों उदासी जिंदगी को बहलाने लगी।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

*वर्षा वार्ष्णेय

पति का नाम –श्री गणेश कुमार वार्ष्णेय शिक्षा –ग्रेजुएशन {साहित्यिक अंग्रेजी ,सामान्य अंग्रेजी ,अर्थशास्त्र ,मनोविज्ञान } पता –संगम बिहार कॉलोनी ,गली न .3 नगला तिकोना रोड अलीगढ़{उत्तर प्रदेश} फ़ोन न .. 8868881051, 8439939877 अन्य – समाचार पत्र और किताबों में सामाजिक कुरीतियों और ज्वलंत विषयों पर काव्य सृजन और लेख , पूर्व में अध्यापन कार्य, वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन यही है जिंदगी, कविता संग्रह की लेखिका नारी गौरव सम्मान से सम्मानित पुष्पगंधा काव्य संकलन के लिए रचनाकार के लिए सम्मानित {भारत की प्रतिभाशाली हिंदी कवयित्रियाँ }साझा संकलन पुष्पगंधा काव्य संकलन साझा संकलन संदल सुगंध साझा संकलन Pride of women award -2017 Indian trailblezer women Award 2017