गीत/नवगीत

दुख पीड़ाओं के कारण पर

दुख पीड़ाओं के कारण पर
करते नही मनन।
केवल चिंता ही चिंता में
बीत रहा जीवन।।

जीवन का सुख जब से हमने
ढ़ूँढ़ा है भौतिकता में।
तब से हुई गिरावट भारी
मन की वैचारिकता में।।
मन में द्वेष लोभ है केवल
गायब है चिंतन…
केवल चिंता ही चिंता में
बीत रहा जीवन…

याद रहे की धन या दौलत
से आनंद नही मिलता।
कागज के फूलों से खुशबू
या मकरंद नही मिलता।।
देता है उल्लास हमेशा
बस उल्लासित मन…
केवल चिंता ही चिंता में
बीत रहा जीवन…

ध्येय भूलकर कृत्रिम सुख का
झूला झूल रहे हैं हम।
जीवन का जो सही लक्ष्य है
उसको भूल रहे हैं हम।।
धार रहे हैं धूलि ललाट पर
समझ उसे चंदन…
केवल चिंता ही चिंता में
बीत रहा जीवन…

सतीश बंसल
१३.०३.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.