लघुकथा

खुद को पहचानो

अमिता ने आज के समाचार पत्र की प्रमुख सुर्खी को देखा-

”देश में बड़ी क्रांति लाने वाले हैं ये 5 युवा वैज्ञानिक”
इन 5 युवा वैज्ञानिकों में अमिता के बेटे अनिल और उसके दोस्त निशांत का नाम भी सम्मिलित था. अमिता की खुशी का ठिकाना नहीं था. उसे कुछ समय पहले की बातें याद आ रही थीं.
देश-सेवा और समाज-सेवा से अविक और सिद्धांत पुलिस लाइन में जाना चाहते थे, लेकिन भर्ती परीक्षा में उनको सफलता ही नहीं मिल रही थी. कभी वे लिखित परीक्षा में असफल रह जाते, कभी मौखिक साक्षात्कार में. बच्चे तो परेशान थे ही, अभिभावक भी निराशा के गर्त से बाहर नहीं आ पा रहे थे. वे भी सबसे अपने बच्चों के भविष्य के बारे में बातें करते रहते थे.

एक पड़ोसी ने अमिता को बताया, कि उन्होंने एक लेख पढ़ा था. उसमें लिखा था- ”अगर आप दिन में प्रतिदिन 10 मिनट भी ध्यान करने बैठते हैं तो मात्र 2-3 दिन के भीतर ही आपका मस्तिष्क ज्यादा एकाग्र हो जाता है. आप अपने भीतर ज्यादा ऊर्जा को महसूस करेंगे और साथ ही तनावमुक्त भी हो जाएंगे. आप खुद भी ऐसा करें और बच्चों को भी ऐसा करने को कहें, सफलता अवश्य मिलेगी.”

एक और पड़ोसी ने आश्चर्य जताते हुए अमिता से कहा- ”अविक और सिद्धांत को तो नवाचार में महारत हासिल है, वे कैसे पीछे रह जाते हैं!”

”आप ये सब कैसे जानते हैं अंकल जी?” अब हैरान होने की बारी अमिता की थी.

”अरे भाई, आपको शायद याद होगा, कि बचपन में वे हमारे बेटे के साथ खेलने आते थे. एक बार मैंने एक पहेली पूछी-

”एक कंपनी को लगातार खाली चॉकलेट पाउडर के डिब्बे बिकने की शिकायतें मिल रही थीं. बताओ वे बिना खर्चे और मेहनत के खाली डिब्बों को कैसे अलग करें.” तब अनिल ने तुरंत कहा था- ”फाइनल चेकिंग के समय डिब्बों के सामने एक शक्तिशाली पंखा रखा जाय. खाली डिब्बा अपने आप उड़कर अलग हो जाएगा.” सच में यह ग़ज़ब का जवाब था.”

इसी तरह एक और सवाल मैंने पूछा था- ”एक कार कंपनी ने एक बड़ी और ऊंची कार बनाई, पर कार बनकर तैयार होने के बाद उसे जब शेड से बाहर निकालने की बारी आई, तो शेड की नीची छत के कारण कार बाहर नहीं निकल पा रही थी, अब क्या किया जाए?” तब सिद्धांत ने तुरंत जवाब दिया था- ”कार के पहियों की हवा निकाल दी जाय, वह नीची हो जाएगी और आसानी से बाहर निकल जाएगी.”

”फिर आप उनके लिए क्या परामर्श देंगे?”

”हम तो ये कहेंगे, कि वे अपने आप को पहचानें, अपनी रुचि को पहचानें और तदनुसार अपना क्षेत्र निर्धारित करें.”

उनके परामर्श को मानकर अनिल और सिद्धांत ने विज्ञान के क्षेत्र में एकाग्रता से कुछ नवाचार करने का मन बनाया, उसी एकाग्रता और खुद को पहचानने का नतीजा था आज के प्रमुख समाचार पत्र की प्रमुख सुर्खी में अनिल और सिद्धांत के नाम का उल्लेख होना.

तभी मोबाइल और काल बेल की घंटियां बजने लगीं. बधाई देने वालों का तांता लगना स्वाभाविक था.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “खुद को पहचानो

  • लीला तिवानी

    सबसे पहले खुद को पहचानना अर्थात अपनी प्रतिभा को पहचानना बहुत जरूरी है. उसी के अनुसार काम चुनकर धैर्य और एकाग्रता से काम करना, समाज और देश के हित को ध्यान में रखकर काम करने से सफलता मिल सकती है. अनिल और सिद्धांत ने ऐसा ही किया था.

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