गीतिका/ग़ज़ल

सितमगर

“”

अहसान अपने वोह उँगलियों पे गिनाते हैं ,
जिनके जुल्मो का हम पैर कोई हिसाब नहीं,

अपने हक के लिए लड़ते हैं सरे आम वोह लोग,
अपने फ़र्ज़ से जिनको कोई सरोकार नहीं,

कभी भी आ टपकते हैं अपनी फुर्सत में,
हमारी मशरूफियत का जिनको कोई ख्याल नहीं,

अपनी तारीफ़ में वोह कर देते हैं हैं सुबह से शाम,
किसी को उठता देखने का जिन्हें गुमान नहीं,

मचा के रखते है वोह शोर अपनी शोहरत का,
किसी भी मजलिस में जिनका कोई मुकाम नहीं ,

गैरों की क्या बात करें इस ज़माने में,
आज तो अपनों को भी अपने पे ऐतबार नहीं,

अपनी खुदगर्जी की राह में चल रहा हैं इंसान,
किसी भी दोस्त के आने का अब इंतजार नहीं ,

और क्या तारीफ करें इन सितमगरों की .
खुदा के पास भी जिनका कोई इलाज़ नहीं —–जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845