लघुकथा

और इंदु पास हो गई

आज हर तरफ एक खबर की चर्चा थी-
”CBSE 12वीं अर्थशास्त्र और 10वीं गणित की परीक्षा होगी दोबारा”
यह खबर उन कुछ छात्रों के लिए भले ही सुखकर हो, जिनका पेपर अच्छा नहीं हुआ था. अधिकांश छात्र दोबारा परीक्षा नहीं चाहते थे. मुझे यह खबर 1960 में ले गई, जब हमने 10वीं की परीक्षा दी थी. हमारी गणित की परीक्षा भी दोबारा हुई थी.

नीरू का गणित का पेपर बहुत अच्छा हुआ था, लेकिन वह बहुत निराश थी. कारण? हमेशा 100% अंक लाने वाली नीरू के 5 अंक कटने वाले थे. पेपर में रेखागणित का एक सवाल ही गलत आया था. उसने निरीक्षकों को यह बात बताई भी थी, पर निरीक्षक क्या कर सकते थे? ख़ैर, शोर मचना ही था, सो मचा. नतीजतन कुछ दिनों बाद पेपर दोबारा होने का समाचार आ गया. नीरू बहुत खुश थी.

उसे सब कुछ आता था, इसलिए वह आराम से सो पाई थी. नींद में सपना आया, वह भी गणित के होने वाले पेपर का. उसे तो कुछ करना नहीं था, लेकिन उसने गणित में मुश्किल से पास होने वाली इंदु की मदद करने की बात सोच ली थी. स्कूल बस में ही उसने इंदु को अपने सपने के बारे में बताकर पेपर से पहले कुछ सवाल सीखकर याद करने को मना लिया था. इंदु ने ऐसा कर भी लिया था.

और इंदु पास हो गई.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “और इंदु पास हो गई

  • लीला तिवानी

    दुनिया के किसी भी कोने में 72-74 साल की इंदु आज यह लघुकथा पढ़ रही होगी, तो उसे उस समय की यह घटना बहुत अच्छी तरह याद आ गई होगी. उसे मेरी औए और मेरे सपने की भी अवश्य याद आ गई होगी. मैंने पहले ही उसे बहुत कुछ सिखा दिया था और इंदु पास हो गई थी.

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