गीत/नवगीतभजन/भावगीत

मानव बनकर दिखलाएं हम

(तर्ज़- वह शक्ति हमें दो दयानिधे कर्त्तव्य मार्ग पर डट जाएं——)

 

हैं मानव तेरी दुनिया के, मानव बनकर दिखलाएं हम
ऐसा वर दो हे नाथ हमें, जग हेतु कुछ कर पाएं हम-

हम सरिता हैं तेरे सागर की, हम लहरें हैं तेरी सरिता की
ऐसा वर दो हे नाथ हमें, खुशहाली लहरा पाएं हम-

हम सुमन हैं तेरे उपवन के, हम कलिकाएं तेरी बगिया की
ऐसा वर दो हे नाथ हमें, संसार को महका पाएं हम-

हम शशि की शीतलता भगवन, हम किरणें हैं प्रभु सविता की
ऐसा वर दो हे नाथ हमें, संसार को चमका पाएं हम-

हम तितलियां हैं तेरे कुंजों की, हम कोकिल हैं अमराई की
ऐसा वर दो हे नाथ हमें, तेरे ही गुण गा पाएं हम-

हम इच्छाएं तेरे अंतर की, हम उमंगें हैं अभयंकर की
ऐसा वर दो हे नाथ हमें, जग को निर्भय कर पाएं हम-

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “मानव बनकर दिखलाएं हम

  • लीला तिवानी

    हे प्रभुवर दया के सागर,

    सब गुण आगर, ज्ञान उजागर,

    जब तक जीयूं, हंस-हंसकर जीयूं ,

    ज्ञान-सुधारस अमृत पीयूं,

    छोड़ूं लोभ-घमंड-बुराई,

    चाहूं सब की नित्य भलाई.

    जो करना सो, अच्छा करना,

    फिर दुनिया में किससे डरना !

    हे प्रभु, मेरा मन हो सुंदर, वाणी सुंदर,

    हे प्रभु दया करना.

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