गीत/नवगीत

शराबबंदी

घर बन गया मन मंदिर बन गया,
शराबबंदी से मेरा संसार बस गया।
आता था पिके मारता था हमें
दुनियां के भीड़ से डराता था हमें
मदिरा एक सामाजिक कलंक बन गया,
शराबबंदी ……………
मदिरा से हमारे संस्कार चले जातें है
विवेक और ज्ञान सदभाव चले जातें है
मदिरा से आदमी शैतान बन गया
शराबबंदी ………………..
मदिरा से मन विचलित हो जाता है
 लिवर मस्तिष्क शिथिल पड़ जाता है
घर मेरा विमारियों का अड्डा बन गया
शराबबंदी ………….
मदिरा से घर तंगी हो जाता है
घर में क्लेश बाधा पहुँच जाता है
पत्नी और बच्चा भूखा रह गया
शराबबंदी …………….
मदिरा सही गलत का पहचान भुला देता है
शराब के नशे में अपराध बढ़ा देता है
मदिरापान सभी व्यसनों का जड़ बन गया
शराबबंदी से मेरा संसार बस गया।
रंजन कुमार प्रसाद

रंजन कुमार प्रसाद

माध्यमिक शिक्षक उत्क्रमित हाइस्कूल तोरनी,करगहर,रोहतास, बिहार, पता- ग्राम-सकरी,पोस्ट-कुदरा, जिला-कैमूर(भभुआ) बिहार, दूरभाष-9931580972 , ranjangupta9931@gmail.com