बाल कविताबाल कहानी

जुड़वां भाई

छोटू मोटू जुड़वां भाई,
आपस में करते न लड़ाई,
छोटू एक इंच छोटा था,
मोटू तीस ग्राम था भारी.

दोनों में कुछ भेद न दिखता,
इससे मुश्किल भारी होती,
एक उड़ाता दूध-मलाई,
खूब मार दूजे को पड़ती.

छोटू पढ़ता बहुत ध्यान से,
घर का काम भी कर लाता था,
जब पिटने की बारी आती,
छोटू ही तब पिट जाता था.

पर दोनों में प्यार बड़ा था,
वे न अकेले रह सकते थे,
पड़ता इक बीमार अगर तो,
दूजे के भी अंग जलते थे.

रोता एक अगर था घर में,
दूजा शाला में रोता था,
एक अगर खुश होता था तो,
दूजा बिना वजह हंसता था.

बड़े हुए तो हुई सगाई,
बरात थी मोटू की आई,
पर जब ध्यान से देखा गया तो,
दूल्हा बने थे छोटू भाई.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “जुड़वां भाई

  • लीला तिवानी

    इस बाल कथा गीत में जुड़वां भाइयों की व्यथा वर्णित है. अक्सर ऐसा होता देखा गया है, कि जुड़वां भाइयों में एक करे-दूजा भरे वाली बात हो जाती है. गलती याशरारत एक करता है, पिटाई दूसरे की हो जाती है. एक को एक बार भी दूध नहीं मिलता, वह भूखा रह जाता है तो दूसरे को दो बार दूध पिला दिया जाता है.

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