गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

ए इनायत है खुदा की जो गुलामी मिट गई
बन गए हम दोस्त, ज़हमत दुश्मनी भी मिट गई |
पल पलों की जिंदगी में ये जवानी मिट गई
दिल लगाकर जो खुदा ने की, खुदाई मिट गई |
देश में उत्थान की ताज़ी हवा सालों चली
गाँव कस्बा शह्र की क्या सब गरीबी मिट गई ?
राज तंत्रों का हुआ जब नाश सारे विश्व से
दास दासी की परेशानी, गुलामी मिट गई !
याद तेरी जब भी’ आई, सोच कुछ ऐसे लिए
प्रेयसी अब मायके में, दरमियानी मिट गई |
मन बहुत बेचैन था, जब याद आई तू मुझे
स्वप्न में आकर गई तू, तब उदासी मिट गई |
जगमगाती जिंदगानी, हमने’ तो जी है यहाँ
तू हुई प्यारी खुदा को, जिंदगानी मिट गई |
साथ मिलकर हम बनाए थे बसेरा इक यहाँ
जब गई तू छोडकर, ‘काली’ निशानी मिट गई |
कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !