कविता

फिर चल पड़ी ज़िन्दगी !

फिर चल पड़ी जिन्दगी !

खफ़ा थे तुम यूं ,जब तलक हमसे ;
जीते तो थे हम, पर जीए बेमन से !
ज़िन्दगी में क्या कहें, इक ठहराव सा रहा;
मुस्काते थे लब पर,खुशियों का अभाव सा रहा !
तुम्हें पता भी  नहीं ,किस दौर से गुज़रे हम;
कितनी बार सूखे पत्तों से, बिखरे हम !
याद आते रहे तुम पल प्रतिपल मगर;
धड़कने थमी थी, नज़र आती न थी कोई डगर !
मगर आज कैसे कहुं अपनी खुशी को तुम्हें ;
तुम मुस्काए हो देख कर, इस अदा से जो हमें !
हर और राहें हैं , बांहे फैलाए हुए अजनबी ;
लगता है जैसे फिर चल पड़ी ज़िन्दगी !!!
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |