लघुकथा

मसखरा

मसखरा स्टेज पर अजीबोगरीब हरकतें कर सबको हंसा रहा था। लोग मैजिक शो से अधिक शो के बीच में होने वाले मसखरे के खेल को पसंद करते थे।
सब उसके खेल को देख कर लोटपोट हुए जा रहे थे। तभी मसखरे की नज़र सामने की पंक्ति में अपने पिता के साथ बैठी एक छोटी सी बच्ची पर पड़ी। वह खुश होकर ताली बजा रही थी।
बच्ची को देख कर मसखरे के सामने एक और बच्ची का चेहरा घूम गया जिसे कुछ ही दिन पहले दफनाया था। उसकी आँखों से झरझर आंसू बहने लगे। रोते हुए भी उसने अपनी उल्टी सीधी हरकतें जारी रखीं।
सब इसे उसका नया खेल समझ कर जोर जोर से तालियां बजा रहे थे।

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है