गीतिका/ग़ज़ल

खुशबुओं का कहाँ ठिकाना है

हर तरफ फैलते ही जाना है ।
खुशबुओं का कहाँ ठिकाना है ।

हमसफ़र आप सा मिले जिसको,
उसका तो हर सफर सुहाना है ।

हमने पूछा कि ज़िन्दगी क्या है,
उसने बोला कि मुस्कराना है ।

आपको हर खुशी मुबारक हो,
हर दुआ का यही तराना है ।

किस्सा ए ज़िन्दगी अगर समझो,
कुछ हकीकत है कुछ फ़साना है ।

देख कर जिसको जान जाती है,
ज़िन्दगी का वही बहाना है ।

नीरज निश्चल

नीरज निश्चल

जन्म- एक जनवरी 1991 निवासी- लखनऊ शिक्षा - M.Sc. विधा - शायर सम्पादन - कवियों की मधुशाला पुस्तक