लघुकथा

बेबस

आज एक समाचार पढ़ा-
‘नाले में गिरा युवक मदद मांगता रहा, लोग विडियो बनाते रहे और वह मर गया’

इंसानियत को ही कठघरे में खड़ा कर देने वाले इस समाचार ने मुझे 1960 में पहुंचा दिया. तब मैं छठी-सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली छोटी-सी बच्ची थी. स्कूल की तरफ से हम बनास नदी पर पिकनिक के लिए गए हुए थे. ऐसे ही गर्मी वाले दिन थे. हमारी स्कूल बस के ड्राइवर साधुराम हमारे लिए नदी से तरबूज ला रहे थे. हमारी अध्यापिका जी तरबूज काट-काटकर बड़े प्यार से खिला रही थीं. तभी साधुराम ने छपाक की आवाज सुनी. उन्होंने देखा, कि एक युवक बचाओ-बचाओ पुकार रहा था. साधुराम तुरंत नदी में कूद पड़े. शोर सुनकर अनेक लोग मदद के लिए तैयार खड़े थे. जैसे ही साधुराम उस युवक को पकड़कर कुछ आगे लाया, एक और व्यक्ति ने सहारा देकर दोनों को खींच लिया. तब तक हमारे कंडक्टर साहिब बस में से फर्स्ट एड बॉक्स ले आए थे. हमारी अध्यापिका ने तुरंत उसको फर्स्ट एड दी और वह युवक बच गया.

आज नाले में गिरा युवक मदद मांगता रहा, रमीश शेख नाम के व्यक्ति ने उसको बचाने की कोशिश भी की, लेकिन वह भी बेबस था. युवक को खींचकर लाना कोई आसान बात तो नहीं होती न! वह मदद मांगता रहा और लोग सोशल मीडिया पर घटना को वायरल कर देने की होड़ में विडियो बनाते रहे और वह मर गया.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “बेबस

  • लीला तिवानी

    आज नाले में गिरे उस युवक की तरह अनेक लोग समय मदद न मिल पाने के कारण परलोक सिधार जाते हैं. लोग विडियो बनाते रहते हैं, कोई पुलिस तक को बुलाने की जहमत नहीं उठाता.

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