ब्लॉग/परिचर्चा

अर्थ डे और हम

आज सुबह उठते ही मुझे याद आया, कि आज अर्थ डे यानी पृथ्वी दिवस है. अर्थ डे के साथ ही याद आई जेन गुरु की एक छोटी-सी प्रेरक कहानी-

“एशिया में आम तौर पर लोग ठंडे पानी से नहाते हैं, जैसे नदी में डुबकी लगाकर. कभी-कभार वे गरम पानी से नहा सकते हैं, जब वे किसी चौकी पर बैठते हैं और तेल लगाकर अच्छी तरह मालिश करवाते हैं. इसमें एक-दो लोग उनकी मदद करते हैं.

जेन गुरु के दो शिष्य उसे इस तरह स्नान करने में मदद कर रहे थे. स्नान के बाद थोड़ा सा पानी बच गया, जिसे शिष्यों ने फेंक दिया. इसे देखकर जेन गुरु ने एक छड़ी उठाई और उन दोनों को पीटना शुरू कर दिया। ‘तुमने वह थोड़ा सा पानी क्यों फेंका?’

‘वह थोड़ा सा पानी? आप क्या बात कर रहे हैं?’

‘हां! वह पानी तुम एक पौधे में डाल सकते थे.’

‘उससे क्या फर्क पड़ेगा,’ उसके शिष्यों ने पूछा। ‘अगर आप चाहें, तो हम पौधों में पानी डाल देंगे.’

मगर मुद्दा यह नहीं है. मुद्दा यह है कि जिस धरती पर आप चलते हैं, जिस हवा में आप सांस लेते हैं, जिस पानी को आप पीते हैं, वे जिंदगी देने वाली चीजें हैं”.

इस तरह जेन गुरु ने शिष्यों को पृथ्वी के प्रति सजग रहने के लिए प्रेरित किया. पृथ्वी दिवस एक वार्षिक आयोजन है, जिसे 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है. इसकी स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप की थी. अब इसे 192 से अधिक देशों में प्रति वर्ष मनाया जाता है. यह तारीख उत्तरी गोलार्द्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद का मौसम है.

अर्थ को अनर्थ न होने दें. अपनी धरती को बचाने के इस महान अभियान में हम भी अपना योगदान दे सकते हैं, और सबसे बड़ी बात कि उसके लिए हमें कोई बहुत बड़ा त्याग नहीं करना है और न ही कोई बहुत बड़ा कदम उठाना है. हम अपने छोटे-छोटे कामों से एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

एक पेड़ लगाएं.
अपनी खुद की पानी की बोतल और अपना खुद का किराने का थैला साथ लेकर चलें.
स्थानीय स्तर पर उगाई जाने वाली सब्जियां खरीदें.
प्रिंट कम निकालें.
पैदल चलें, साइकल चलाएं.
अपने पुराने खराब फोन को ऐसे ही पुर्जा-पुर्जा कर फेंकने से अच्‍छा है कि उसे किसी ऐसे फोन सेंटर को दे दें, जो पुराने फोन को रिसाइकिल करते हैं.
याद रहे पृथ्वी दिवस मनाने की जरूरत हर दिन है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “अर्थ डे और हम

  • लीला तिवानी

    अगर धरती पर रहने वाला हर व्‍यक्ति एक पौधा लगाए, तो धरती का वातावरण बहुत ही सुधर जाएगा. तो क्‍यों न इस वर्ल्‍ड अर्थ डे पर एक पौधा लगाया जाए. इससे एक तो आपका शहर सुंदर होगा, दूसरा आपका स्‍वास्‍थ्‍य भी बेहतर होगा. यह बात मैं यकीन से कह सकती हूं कि दिल्‍ली में रहने वाला हर व्‍यक्ति अपनी सेहत और यहां के बिगड़ते वातावरण के चलते दिन में, महीने में या साल में एक बार तो यह सोच ही लेता है कि वह दिल्‍ली छोड़कर कहीं और चला जाएगा. क्‍यों न इस तरह के विचारों को खत्‍म करने के लिए काम किया जाए. जिस शहर में आप रहते हैं उसे बेहतर बनाने के लिए काम किया जाए.

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