सामाजिक

धरा रुपी मां को बचाने के लिए लाल को आगे आना ही होगा- लाल बिहारी लाल

देश दुनिया में पर्यावरण का तेजी से क्षति होते देख अमेरिकी सीनेटर जेराल्ट नेल्सन ने 7 सितंबर 1969 को घोषणा की कि 1970 के बसंत में पर्यावरण पर राष्ट्रब्यापी जन साधारण प्रदर्शन किया जायेगा। उनकी मुहिम रंग लायी और इसमें 20 लाख से अधिक लोगो ने भाग लिया। और उनके समर्थन में जानेमाने फिल्म और टी.वी. के अभिनेता एड्डी अल्बर्ट ने पृथ्वी दिवस के निर्माण में एक अहम भूमिका अदा किया। यही कारण है कि उनके जन्म दिन 22 अप्रैल के अवसर पर 1970 के बाद हर साल पृथ्वी दिवस मनाया जाने लगा।

एल्वर्ट को टी.वी.शो ग्रीन एकर्स में भूमिका के लिए भी जाना जाता है। 141 देशों के पहल पर 1990 में 22 अप्रैल को पूरी दुनिया में विश्व स्तर पर पर्यवरण के मुद्दो को उढाया गया जिसमें पुनः चक्रीकरण के प्रयास को उत्साहित किया गया। औऱ 1992 में रियो दी जेनेरियो में संयुक्त राष्ट्र संघने इसे करवाया। इस सम्मेलन मे ग्लोबल वार्मिग एंव स्वच्छ उर्जा को प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया। सन 2000 में इंटरनेट ने पूरी दुनिया के कार्यकर्ताओं को एक मंच पर जोड़ने में मदद की जिससे यह मुद्दा ग्लोबल हो गया। वर्ष 2000 में 22 अप्रेल को 500 समुह 192 देशों के करोड़ो लोगो ने हिस्सा लिया। इसके आगे हर साल यह प्रक्रिया चलती रही। सन 2007 में पृथ्वी दिवस का अब तक के सबसे बड़ा आयोजन हुआ जिसमें अनुमानतः हजारों स्थान पर जैसे- कीव,युक्रेन, कानवास, बेनजुएला,तुवालु,मनिला,फिलीपिंस, टोगो, मैड्रीड ,स्पेन, लन्दन, औऱ न्यूयार्क के करोड़ो लोगों ने हिस्सा लिया।

विकास के इस अंधी दौड़ में पेड़ो की अंधाधुन कटाई,वातावरण में कार्बन मोनो अक्साइड, कार्बन डाईआक्साइड, सल्फर, सीसा, पारा आदि के साथ-साथ कल-कारखानों के द्वारा धुआ एवं कचरा, कृषी में कीटनाशकों का अधिकाधिक प्रयोग आदी से धरती की बाह्य एवं आन्तरिक दशा काफी दयनीय हो रही है।पृथ्वी की इस दशा को सुधारने के लिए दुनिया के तमाम देश चिंतित है। उनमें भारत भी एक है। गांधी जी ने भी पर्यावरण पर चिंता ब्यक्त करते हुए पृथ्वी मां की रक्षा के लिए सकारात्म कदम उठाने की वकालत की थी। इसके लिए काफी प्रयास भी हुए । प्रौद्योगिकी मंत्रालय से पर्यावरण एवं कृषी मंत्रालय से वन विभाग काटकर तत्कालिन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में 1986 में एक अगल मंत्रालय पर्यावरण एव वन मंत्रालय का गठन किया गया। इसके बाद जल संरक्षण,भूमि संरक्षण और एंव वायु संरक्षण,वन संरक्षण आदि के लिए काफी नियम बनाये गए ।फिर भी पृथ्वी से अवैध खनन जारी है।इसके रोकने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाना होगा तभी इस माँ रुपी पृथ्वी को बचाया जा सकता है। वरना पृथ्वी के नष्ट होनो से समस्त जीव जन्तु नष्ट हो जायेगे। इसके लिए जरुरी है कि जीवों के इस संकट को समझना ही होगा और पृथ्वी के प्रति अपना दायित्व निभाना होगा तभी पृथ्वी बच पायेगी और जीवों का कल्याण हो पायेगा।

 

 

लेखक पर्यावरण प्रेमी है।

 

लाल बिहारी गुप्ता लाल

जन्म : 10 अक्टूबर 1974 जन्म स्थान : ग्राम+पो. श्रीरामपुर, भाया - भाथा सोनहो, जिला-सारण (छपरा), बिहार-841460 माता : (स्व.) मंगला देवी पिता : (स्व.) सत्य नरायण साह पत्नी : श्रीमती सोनू गुप्ता संतान : पुत्र ज्येष्ठ—रवि शंकर (11वीं अध्ययनरत); कनिष्ठ—कृपा शंकर (11वीं अध्ययनरत) शिक्षा : स्नातकोत्तर (एम.ए.)-हिन्दी सम्प्रति : वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, उद्योग भवन, नई दिल्ली में कार्यरत संपादित कृतियाँ : 1. समय के हस्ताक्षर (2006) 2 लेखनी के लाल (2007) 3 माटी के रंग (2008) 4 धरती कहे पुकार के (2009) तथा कोलकाता से प्रकाशित हिन्दी साहित्यिक पत्रिका “साहित्य त्रिवेणी” के पर्यावरण विशेषांक का संपादन (2011) भाषा ज्ञान : हिन्दी, भोजपुरी एवं अंग्रेजी विशेष : हिन्दी एवं भोजपुरी की कविताएँ एवं गीत देश के विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में छपती रहती हैं। लाल कला साहित्य एवं सामाजिक चेतना मंच (रजि.) बदरपुर, नई दिल्ली-110044 के संस्थापक सचिव। भोजपुरी गीतों का आडियो एवं वी.सी.डी. टी. सीरीज, एच. एम. वी., वीनस सहित देश की कई नामी-गिरामी कंपनियों से बाजार में हैं। संपर्क : 265 ए / 7, शक्ति विहार, बदरपुर, नई दिल्ली - 110044 फोन : 098968163073 // 07042663073 ई-मेल : lalbihari74@gmail.com, lalkalamunch@rediffmail.com