लघुकथा

अहसास

”चांदनी रात में अभिसार का मजा कुछ अलग ही है न!” नंदिनी के मौन ने कहा था.
कितनी खुश थी नंदिनी! अब तक उसने सिर्फ साहित्य में अभिसार और अभिसारिका का आनंद लिया था, आज सचमुच उस आनंद का अहसास महसूस किया था. अभी भी उसी प्यारे-से गीत को गुनगुना रही थी, जो थोड़ी देर पहले नलिन ने उसके लिए गाया था-

”ये आंखें देखकर हम सारी दुनिया भूल जाते हैं.”

वह यह भी जानती है, कि अभी भी हजारों दूषित-प्रदूषित-ललचाई आंखें उसका पीछा कर रही होंगी. क्यों? क्योंकि, वह एक लड़की है. एक लड़की जिसे भोग्या मानने की रीत चली आई है. वह इस रीत को बदलने का साहस रखती है, एक लड़की जिसे अक्सर अबला समझने की गलती की जाती है, लेकिन अब वह ऐसी गलतियों को ब्रश से झाड़ चुकी है. वह ऐसे अनेक मनचलों को ऐसा सबक सिखा चुकी है, कि उसका नाम ही उनकी दहशत के लिए काफी है. वह निर्भय होकर अभिसार के लिए निकलती है, मनमर्जी के कपड़े पहनती है, हां चौकन्नी अवश्य रहती है. चौकन्नी! झीनी-सी आहट से उसके मन का मंथन तनिक थम गया. सचमुच अनेक आंखें उसके पीछे आ रही थीं. उसने पीछे मुड़कर देखा. सारी आंखें झड़ चुकी थीं. वह फिर से अपनी पीठ ठोकने के भाव में गुनगुनाने लगती है-

”ये आंखें देखकर हम सारी दुनिया भूल जाते हैं.”

इस गुनगुनाहट में भी उसे अभिसार का अहसास हो रहा था.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “अहसास

  • लीला तिवानी

    आज नारी सबल हो चुकी है. विश्वास के लिएसमाचार की यह सुर्खी देखिए-

    खाने के बाद टहलने निकले दंपती ने छड़ी से किया लुटेरों का सामना

    नंदिनी को अभी भी चांदनी रात में अपने प्रेमी नलिन से अभिसार का खुशनुमा अहसास और प्रेमी से मिलन की खुशी का अहसास हो रहा है.

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