मुक्तक/दोहा

मुक्तक

हुस्न जो इश्क से रू-ब-रू हो गया
ख़्वाब में जो दिखा हू-ब-हू हो गया
एक पल को नज़र से नज़र क्या मिली
सिलसिला चाहतों का शुरू हो गया
कुछ कदम आपका साथ क्या मिल गया
यूँ लगा मंजिलों का पता मिल गया
टूटते हौसलों को यकीं मानिये
ज़िन्दगी का नया हौसला मिल गया
गर्द छँटने लगी धुंध छँटने लगी
तीरगी ज़िन्दगी की सिमटने लगी
आपने प्यार से जो निहारा हमें
सच कहें बिन दवा पीर घटने लगी
है कठिन साधना एक विश्वास है
ज़िन्दगी का अलग एक अहसास है
इश्क भी बंदगी है यकीं मानिये
कीजिये तो सही ये बहुत ख़ास है
सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.