जख्म गैरों के जाकर
गजल : कुमार अरविन्द गैर के जख्मो को हर रोज सुखाते रहिये | अपने किरदार का किरदार निभाते रहिये |
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Read Moreदहकती धरती को देखकर, लाशों के ढेर की गिनती करते रो रहे है, राम और रहीम कल अचानक बवाल उठा,
Read Moreजैसा कि हम सब जानते है।की आज के इस मॉडर्न समय में पढ़ाई के बिना रह पाना संम्भव नही है
Read Moreये क्या हो रहा है आज मिला हमें कैसा यह ताज इंसानी पाश का खंडन कर जाती,धर्म,सम्प्रदाय में विखंडित कर
Read Moreचार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात है तेरी न यहाँ कोई बात है भरी जवानी में काहे इतरावे रूप
Read Moreचुनाव के आसपास होने वाली रैली किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होती । कार्यक्रम से घर लौटे नेताजी बहुत
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