गीतिका/ग़ज़ल

मुहब्बत की गली कूचों में क्या है

गजल : कुमार अरविन्द

मुहब्बत की गली कूचों में क्या है |
इधर देखो मेरी आँखों में क्या है |

बड़ा ही जोर है उन के जुबां में |
नही तो जोर जंजीरों में क्या है |

ये करने वाले हैं कर जाते हैं सब |
वगरना आग तकरीरों में क्या है |

खुदाया दिल नही देखा कहीं पे |
खुदा को पा गये ख्वाबों में क्या है |

मेरा ये ‘चांद घर में आ गया अब |
चलो छोड़ो न महताबों में क्या है |

परिंदे आसमां में घूमते क्यूँ |
गरीबी देख लो महलों में क्या है |

हमे अरविन्द मिल जाये खुदा बस |
तुम्हारे और इन ख्यालों में क्या है |

कुमार अरविन्द

नाम - कुमार अरविन्द ( अरविन्द शुक्ला ) पिता का नाम - राम बहादुर शुक्ला पता - ग्राम - बंजरिया , पोस्ट विशुनपुर संगम , इंटियाथोक गोंडा यूपी ( 271202 ) शिक्षा - वनस्पति शास्त्र में परास्नातक लेखन शैली - गजल मोब. - 9415604118 दैनिक हमारा मेट्रो , वर्तमान अंकुर , राष्ट्रीय सहारा , दैनिक भास्कर अमर उजाला , अमर उजाला काव्य और बेव पत्रिकाओं जैसे कागज़ दिल , सावन , आदि में प्रकाशित