हास्य व्यंग्य

पैंतरे बाजो से जनता बेजार

भईयाजी नेता जी एक ही  बड़का दांव जानते हैं ,वो हैं पैंतरे बाजी , चुनाव के बाद एक साल तक तो खुसिया मनाने में उद्धघाटन करने फीता काटने में बिता देते है  और कोई काम की फुर्सत ही नहीं ।दुई साल पीछे जब पब्लिक चिल्लाने लगती है काहे नहीं रोड़ बन रहा निकलने का तकनिकों जगह नहीं ठेकेदार आधा अधूरा काम छोड़कर न जाने कहां रफे दफे हो गया। पब्लिक परेशान हैं।नेता जी कबहू कबहू निकलते चुपके-चुपके कानबलईया देत कोई देख न ले। एक साल और बीती घिसट घिसटा घिसटा के भईया जी अब जब  संसदीय क्षेत्र के चुनाव आई तो नेता लोग अपने अपने पैंतरा बाजी शुरुकर कर दिये उनकी  नींद खुली तो देखा कि बहुत काम पैंडिंग है ।नया पैंतरा शुरू दिखावे के ले फिर नई घोषणा कर दी और फिर उद्धघाटन शुरू फिर फीता कटी नारियल बधराया   गया ।पर काम के नाम पे शिलान्यास के पत्थर सिमेंटेड हो गया बस पब्लिक ताली बजाने में मस्त तब तक नेताजी गाड़ी में बैठ फरार कहा गए पता नहीं ।
योजना फाइल में और टीवी की टीआरपी में पूर्ण। पब्लिक पैंतरे में फंसी रोती ही रहती है । पता लगी नेताजी विदेश में छुट्टी मना रहे ईहा  सारे त्योहार फीके मां परेशान अकेली ।ई तो अब रोज का खबर है।राम जाने विपक्ष का क्या भविष्य होगा । भईया जी उनको न अपनी जन्मपत्री किसी ज्योतिषी से दिखला लेनी चाहिए। अब तो पक्का इन लोगों का ग्रह दशा खराब है। पहले की छोड़ो अबकी सरकार के भी तो पांच साल पूरे होनेवाले है।
देखो छुटकेभाईया ई बार की सरकार बहुत दोड़ दोड़ के काम कर रही है ।हम सुने हैं पेरीफिरल बन के तैयार बा टिप टाप रोड़ के बस उद्घाटन की देर है । गाड़ी फरर फर दोड़ेगी एक बात बोले हम को मन का बात बड़ा ही सुखद लागी । कितना कुछ बोले है हम तो मंत्रमुग्ध हुए श्रोता से सुनते रहे है। ना जाने का होगा अब तो आगे लोकसभा चुनाव आयेगा । फिर भईया पैंतरे बाजी शुरु हो जायेगी । काम काजी सरकार को हम तो वोट देंगे तुमरी क्या राय है भईयाजी हम भी वही सोचे है  ” काम करो वोट लेलो ” हमरा नारा है ।अब फिर चाहे कोई पार्टी कितना पैर पड़ेे कितने भी पैंतरे फैके हम फंसने वाले नहीं। देश की आधी आबादी     महिलाएं   ई सरकार से बहुत खुश हैं। लगता है आने वाले चुनाव में इनके वोट तो पक्के ही समझो । दूसरी पार्टी कितने भी पैंतरे फैक ले अब कुछ ना होने का ।
वैसे भी सारे नेता श्वेत वस्त्र धारण कर जनता से मिलने को निकलते हैं तो जनता को तो मरा जान कर ही ना निकलते हैं ।जनता में जान होती तो का बार बार वोट करते ऐही से जनता की मातम पु्र्सी …. किये और निकल लेते हैं । भईया जी अब की सरकार में  रंगदार कपड़ा और सूट बूट पहन कर जाकेट कस कर तब जनता से मिलते हैं ।हम को लगने लगा है जनता  थोड़ा बहुत जीवित हो गई है। सोच समझ कर ही इस लोकसभा चुनाव में वोट करेगी ।
देश की आधी आबादी….. महिलाएं  तो पहले ही तय कर चुकी किसे वोट करेगी बची आधी आबादी  को तय करना है कि पैंतरे बाजी में फसना है या सही काम करने वाली सरकार के लिए वोट करना है। भईया जी तुम तो बहुत समझदारी का बात बताएं आज

अर्विना गहलोत

जन्मतिथि-1969 पता D9 सृजन विहार एनटीपीसी मेजा पोस्ट कोडहर जिला प्रयागराज पिनकोड 212301 शिक्षा-एम एस सी वनस्पति विज्ञान वैद्य विशारद सामाजिक क्षेत्र- वेलफेयर विधा -स्वतंत्र मोबाइल/व्हाट्स ऐप - 9958312905 ashisharpit01@gmail.com प्रकाशन-दी कोर ,क्राइम आप नेशन, घरौंदा, साहित्य समीर प्रेरणा अंशु साहित्य समीर नई सदी की धमक , दृष्टी, शैल पुत्र ,परिदै बोलते है भाषा सहोदरी महिला विशेषांक, संगिनी, अनूभूती ,, सेतु अंतरराष्ट्रीय पत्रिका समाचार पत्र हरिभूमि ,समज्ञा डाटला ,ट्र टाईम्स दिन प्रतिदिन, सुबह सवेरे, साश्वत सृजन,लोक जंग अंतरा शब्द शक्ति, खबर वाहक ,गहमरी अचिंत्य साहित्य डेली मेट्रो वर्तमान अंकुर नोएडा, अमर उजाला डीएनस दैनिक न्याय सेतु