कविता

मेरे अल्फ़ाज़

आज मेरे अल्फ़ाज़ मुझसे खफा हो गए ।
खिड़की के रास्ते दफा हो गए ।
कितने मासूम लगते मुंह के अंदर ।
बाहर निकलते ही हवा हो गए ।
हाय मेरे अल्फ़ाज़ मुझको दगा दे गए ।
कोई पकड़ो इन ना मुरादों को ।
इन के ना पाक इरादे हमें खफा कर गऐ।
इश्क पर परवान चढ़े थे कभी ।
आज इनके इरादे कुछ अच्छे नहीं ।
न जाने तुम्हें क्यों पिया कह गए ।
हम तो शर्म से निगाहें झुकाए खड़े रह गए ।
तुम इनकी शरारत पे मुस्कुराते रहे ।
आज मेरे अल्फ़ाज मुझसे खफा हो गए ।
खिड़की के रास्ते दफा हो गए।

अर्विना गहलोत

जन्मतिथि-1969 पता D9 सृजन विहार एनटीपीसी मेजा पोस्ट कोडहर जिला प्रयागराज पिनकोड 212301 शिक्षा-एम एस सी वनस्पति विज्ञान वैद्य विशारद सामाजिक क्षेत्र- वेलफेयर विधा -स्वतंत्र मोबाइल/व्हाट्स ऐप - 9958312905 ashisharpit01@gmail.com प्रकाशन-दी कोर ,क्राइम आप नेशन, घरौंदा, साहित्य समीर प्रेरणा अंशु साहित्य समीर नई सदी की धमक , दृष्टी, शैल पुत्र ,परिदै बोलते है भाषा सहोदरी महिला विशेषांक, संगिनी, अनूभूती ,, सेतु अंतरराष्ट्रीय पत्रिका समाचार पत्र हरिभूमि ,समज्ञा डाटला ,ट्र टाईम्स दिन प्रतिदिन, सुबह सवेरे, साश्वत सृजन,लोक जंग अंतरा शब्द शक्ति, खबर वाहक ,गहमरी अचिंत्य साहित्य डेली मेट्रो वर्तमान अंकुर नोएडा, अमर उजाला डीएनस दैनिक न्याय सेतु