गीतिका/ग़ज़ल

“गीतिका”

मापनी- 122 122 122 12, समांत-आते,पदांत- कहाँ

बजाते मुरलिया सुनाते कहाँ

निभाते कहाँ हो बताते कहाँ

सलोने मुरारी गज़ब रागिनी

गिराते कहाँ हो उठाते कहाँ॥

कभी तो कन्हाई समा बांधते

कहाँ सम लगाते बिठाते कहाँ॥

सुनो मत जगाओ पहर रात को

भरोषा सुबह की दिलाते कहाँ॥

भरे नींद नयना न खुलने दिया

अजब आलसी हो जगाते कहाँ॥

कहाँ तक गिनाऊँ गुनाहे गिला

क्षमा दो क्षमा को छुपाते कहाँ॥

तरसता है गौतम सुना दो तनिक

बजा दो मधुर राग जाते कहाँ॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ