गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

मैं बर्बाद हूँ तो मुझे बर्बाद रहने दे।
मेरी छोड खुद को आबाद रहने दे।
जानता हूँ जमाना आगे है मुझसे।
आगे तू है तो मुझे तेरे बाद रहने दे।
अजनबी है फिर से पहचानते नहीं हैं।
दिल के किसी कोने में याद रहने दे।
इबादत पूजा उसकी कभी नहीं की।
तुझे पाना है तो फरियाद रहने दे।
सबके सुखन ओ गम अलग अलग हैं।
तू तो खुश रह मुझे नाशाद रहने दे।
आवारा हूँ जरा सा बेड़ियाँ मत डाल।
घुटन से मर न जाऊं आजाद रहने दे।
मैं खुद हूँ तो फिर उसके जैसा क्यों।
न मीर न गालिब ‘याद’ को याद रहने दे।
यादवेन्दर आर्य याद

यादवेन्दर आर्य 'याद'

पिता =श्री अनिल कुमार आर्य जन्म तिथि=10अक्तूबर 1992 जन्म स्थान = मथुरा उत्तर प्रदेश शिक्षा =स्नातक निवास व कार्यक्षेत्र =जयपुर राजस्थान आजीविका =निजी क्षेत्र में सेवारत सम्पर्क सूत्र = 9950895536 ईमेल =yadvendar010@gmail.com

One thought on “ग़ज़ल

  • प्रदीप कुमार तिवारी

    BAHUT KHOOB

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