कविता

कैसे-कैसे रिश्ते

छिन लिया आसरा
पेड़ को कटते देख
दूसरे पौधे रो रहे थे
कौन समझे इनकी पीड़ा
नेक इंसान ही समझते
उसे लगा होगा
जैसे , माता -पिता के मरने पर
रोते है कैसे रिश्ते

यह जानते हुए भी
खोने दे रहा है
खुद के जीने की प्राण वायु
पेड़ की खोल के रहवासी
उड़े भागे थे ऐसे
जैसे भूकंप आने पर

लोग छोड़ देते है मकान

थरथरा कर गिर पड़ा था पेड़
पेड़ के रिश्तेदार ,मूक पशु- पक्षी
खड़े सड़क पर ,बैठे मुंडेरों पर
आँखों में आँसू लिए
विचलित अस्मित भाव से
कर रहे संवेदना प्रकट
और मन ही मन में सोच रहे
क्यों छिन लिया आसरा हमसे
क्रूर इंसान ने

संजय वर्मा “दृष्टि”

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच