लघुकथा

प्रोत्साहन

10वीं बोर्ड में बहुत अच्छे नंबरों से पास होने वाले अपने बेटे की खुशी में सागर के सागर एक पार्टी का आयोजन कर रहे थे. आयोजन करते-करते उनको पिछले साल की पार्टी की याद आ गई.

पिछले साल सागर के सागर ने जब अचानक से पार्टी दी, तो लोगों को आश्चर्य हुआ. शामियाना, मिठाई और पटाखों से पूरा इलाका गूंज उठा. जब लोगों को पार्टी की वजह पता चली तो फिर आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा.

पार्टी में सागर ने आगंतुकों को संबोधित किया-

‘इस पार्टी का मकसद अपने बेटे को प्रोत्साहित करना है. अक्सर ऐसा होता है कि परीक्षा में फेल होने के बाद बच्चे डिप्रेशन में चले जाते हैं और तो और कई बार अपनी जिंदगी समाप्त करने तक का कदम उठा लेते हैं. मैं ऐसे बच्चों को बताना चाहता हूं कि बोर्ड की परीक्षा ही जिंदगी की अंतिम परीक्षा नहीं होती है. जिंदगी में आगे बहुत सारे अवसर आते हैं. मेरा बेटा अगर फेल हुआ है तो वह अगले साल फिर से परीक्षा दे सकता है.’

पार्टी में बड़ी संख्या में शामिल हुए दोस्तों और रिश्तेदारों के सामने बेटे ने कहा- ‘मैं अपने पिता के इस फैसले की सराहना करता हूं. मैं अब वादा करता हूं कि और भी मेहनत से पढ़ाई करते हुए अगले साल कहीं बेहतर नंबर लेकर आऊंगा.’

बेटे ने वादा निभाया था, इसलिए पुनः शानदार पार्टी का आयोजन किया गया. प्रोत्साहन के लिए दी गई पार्टी रंग लाई थी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “प्रोत्साहन

  • लीला तिवानी

    10वीं बोर्ड में फेल हुए बेटे को प्रोत्साहन देने के लिए पिता ने दोस्तों और रिश्तेदारों को शानदार पार्टी देकर शानदार काम किया. परीक्षा में फेल होने के बाद बच्चों को डिप्रेशन में चले जाने से बचाने के लिए यह एक समझदारी भरा कदम है.

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