गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

कहीं वही तो’ नहीं वो बशर दिल-ओ-दिलदार
जिसे तलाशती’ मेरी नज़र दिल-ओ-दिलदार |
हवा के’ झोंके’ ज्यों’ आते सदा सनम मेरे
नसीम शोख व महका मुखर दिल-ओ-दिलदार |
सूना उसे कई’ गोष्टी में’, फिर भी’ प्यासा मन
अज़ीज़ है वही आवाज़ हर दिल-ओ-दिलदार |
कभी हुई न समागम, कभी नहीं कुछ बात
हिजाब में सदा रहती मगर दिल-ओ–दिलदार |
गए विदेश को’ महबूब छोड़कर मुझको
ख़याल में बसे’ चारो पहर दिल-ओ-दिलदार |
कभी नहीं सके’ हम भूल, वर्ष कई बीते
शरीर मेरा’ उसी का जिगर दिल-ओ-दिलदार |
सनम मेरे है’ निराला, अनन्य दुनिया में
जवाहरों में’ अनूठा, गुहर दिल-ओ-दिलदार |
विरह के’ शोक में. डूबी है’ प्रेयसी ‘काली’
उसे नहीं पता’ कुछ, वज्द बेखबर दिलो दिलदार |
शब्दार्थ : नसीम = मृदुल हवा ; वज्द = आत्म विस्मृत
कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !