गीत/नवगीत

जिनको शीष झुका जीवन की, सरल ड़गर जाना हो जाएं

जिनको शीष झुका जीवन की, सरल ड़गर जाना हो जाएं।
मैने सच के कठिन मार्ग पर, कदम बढ़ाने की ठानी है।।

दंभ झूठ के प्रतिमानो का, वंदन करूँ नही हो सकता।
सत्ता को आराध्य बना कर, पूजन करूँ नही हो सकता।।
अपनी मंजिल मैने अपने, ही दम पाने की ठानी है…
जिनको शीष झुका जीवन की, सरल ड़गर जाना हो जाएं।
मैने सच के कठिन मार्ग पर, कदम बढ़ाने की ठानी है…

कदमों के नीचे काँटे हों, तेज तपन से पग जलता हो।
पथ पर घोर अँधेरे पसरें, या तूफ़ान प्रबल चलता हो।।
तेज वेग आँधीं में मैने, दीप जलाने की ठानी है…
जिनको शीष झुका जीवन की, सरल ड़गर जाना हो जाएं।
मैने सच के कठिन मार्ग पर, कदम बढ़ाने की ठानी है…

भय से या लालच से हरगिज, अपनी सोच नही बदलूँगा।
मैने अपने लिये चुनी जो, उसी ड़गर पर सदा चलूँगा।।
मैने कविताओं में जन की, पीड़ा गाने की ठानी है…
जिनको शीष झुका जीवन की, सरल ड़गर जाना हो जाएं।
मैने सच के कठिन मार्ग पर, कदम बढ़ाने की ठानी है…

है मेरा आह्वान कलम के, साधक और पुरोद्धाओं से।
आओ लड़ो एक जुट होकर, आड़म्बर के आकाओं से।।
मैने धर्मों के दामन से, दाग हटाने की ठानी है…
जिनको शीष झुका जीवन की, सरल ड़गर जाना हो जाएं।
मैने सच के कठिन मार्ग पर, कदम बढ़ाने की ठानी है…

सतीश बंसल
१६.०५.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.