गीतिका/ग़ज़ल

संवैधानिक दायित्वों को गिरवी रखने वाले लोग..

संवैधानिक दायित्वों को गिरवी रखने वाले लोग
उजले कपड़ों में देखें हैं हमने मन के काले लोग

खूब अदाकारी है उनकी बातें लच्छेदार बहुत
उनके छल में आ जाते हैं देखो भोले भाले लोग

मंजिल पाने को तूफ़ां से टकरा जाया करते हैं
मुश्किल से कब हारे कहिये सच्चाई के पाले लोग

हद से गुज़री उनकी करतूतें तो सारे बोल पड़े
आख़िर कब तक रहते होटो पर लटकाकर ताले लोग

सत्ता जितनी ताकत झोंके चाहे जितना जुल्म करे
सच को लेकिन सच कहते हैं हर हालत दिल वाले लोग

कुछ तो सोचो कुछ तो समझो कुछ तो फर्ज निभाओ तुम
कितने दिन जयकार करेंगे झूठे सपने पाले लोग

अपनी किस्मत पर इतना ज़्यादा इतराना ठीक नही
फर्श दिखा देंगे वोटों से तुझको बैठे ठाले लोग

सतीश बंसल
१९.०५.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.