गीत/नवगीत

ले भारत फिर अंगड़ाई

ले भारत फिर अंगड़ाई, उठ भारत ले अंगड़ाई

सबसे पहले दहेज प्रथा का, तुझको कलंक मिटाना है
बहुओं की रक्षा करनी है, उनको जलने से बचाना है
तिल-तिल जलती बेटी जब तक, प्राण बचा नहीं पाएगी
तेरी गौरव गाथा तब तक, कैसे जाएगी गाई?
ले भारत फिर अंगड़ाई.

छुआछूत का भाव अभी तक, मिटा नहीं है भारत से
जाति-पांति का रोग अभी तक, घटा नहीं है भारत से
जाग-जाग रे भारत फिर से, दूर भगा दे कुटिलाई
उस ज्योति को प्रज्वलित कर दे, बापू ने जो स्वयं जलाई
ले भारत फिर अंगड़ाई.

तिलक-गोखले बन हर बच्चा, जीवन-दीप जला सकता है
गांधी-गौतम-वीर शिवा बन, शत्रु दूर भगा सकता है
फिर झांसी को छुड़ा सकेगी, हर बाला बन लक्ष्मीबाई
गीता-अमृत प्याला देकर, दे अर्जुन को तरुणाई
ले भारत फिर अंगड़ाई.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “ले भारत फिर अंगड़ाई

  • मनमोहन कुमार आर्य

    कविता अच्छी लगी। धन्यवाद्।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको रचना बहुत प्रेरणादायक लगी. हमेशा की तरह आपकी लाजवाब टिप्पणी ने इस ब्लॉग की गरिमा में चार चांद लगा दिये हैं. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    आज एकता की चाहत ने,
    फिर हमको ललकारा है,
    चाल चलेगी नहीं तुम्हारी,
    भारत देश हमारा है.

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