बाल कविता

ग्रीष्मावकाश

बन्द हुए स्कूल गली में बच्चे खेले खेल।
आगे पीछे दौड़ रहे है छुक छुक करती रेल।
भरी दुपहरी तपती धरती इनको नही सताती।
जोर जोर आवाज लगाकर मम्मी रोज बुलाती।
पल पल में झगड़े करते है पल में होता मेल
आगे पीछे दौड़ रहे है छुक छुक करती रेल।
बन्द हुए स्कूल गली में बच्चे खेले खेल।
आगे पीछे दौड़ रहे है छुक छुक करती रेल।
लूडो कैरम गेम आज कल गुजरे दिन की बात।
बन्द हुआ व्यापार सांप सीढ़ी की क्या औकात।
मोबाईल पर गेम खेलते बच्चे रेलमपेल।
आगे पीछे दौड़ रहे है छुक छुक करती रेल।
बन्द हुए स्कूल गली में बच्चे खेले खेल।
आगे पीछे दौड़ रहे है छुक छुक करती रेल।
आइस पाइस खो खो कोई याद नही करता है।
हॉकी बालीबाल दौड़ लगता केवल सपना है।
गुड्डा गुड़िया चोर सिपाही खेल हो गए फेल।
आगे पीछे दौड़ रहे है छुक छुक करती रेल।
बन्द हुए स्कूल गली में बच्चे खेले खेल।
आगे पीछे दौड़ रहे है छुक छुक करती रेल।
आशुकवि नीरज अवस्थी

आशुकवि नीरज अवस्थी

आशुकवि नीरज अवस्थी प्रधान सम्पादक काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका खमरिया पण्डित लखीमपुर खीरी उ0प्र0 पिन कोड--262722 मो0~9919256950