लघुकथा

नियति का संकेत

कॉलेज में सबके मुख पर सुरभि+नीलाम्बर की जोड़ी का नाम चढ़ा हुआ था. कितनी सुंदर जोड़ी लगती है, सुरभि और नीलाम्बर की. सुरभि राधिका जैसी गोरी-गोरी थी. नीलाम्बर नीले अम्बर जैसा और श्याम की श्यामलता लिए हुए. दोनों की समझ में भी कितना समन्वय! बिन बोले एक दूसरे की जरूरत को समझकर पूरी करना. कॉलेज के सभी साथी इस जोड़ी को प्रणय-सूत्र में बंधते हुए देखना चाते थे.

किसी के चाहने भर से सब कुछ कहां होता है? वही होता है, जो मंजूरे खुदा होता है. पिता ने उसके प्रणय-सूत्र के साथी के रूप में पीताम्बर को चुन लिया. पीताम्बर की सुनहरी चमक जैसा पीताम्बर, उस पर अपार धन-राशि की सुनहरी चमक अलग. पिता के दिमागी निर्णय के आगे सुरभि के दिल की एक न चली और प्रणय-सूत्र की बेला आ पहुंची. नीलाम्बर ने भी धैर्य से काम लिया और उसे खुशी-खुशी विदा करने के लिए घराती बनकर काम में हाथ बंटाने लगा. खुद मुस्कुराकर सुरभि को मुस्कुराने में वह सहायक बन रहा था. जयमाला के समय वह भी ख़ास दर्शक बनकर दूल्हे के पास खड़ा था.

सुहागिनों का सुरीला गाना चल रहा था-
”पहनाओ जयमाल सुहानी, पहनाओ जयमाल.”

सुरभि ने सिर झुकाए जयमाला लेकर पीताम्बर को पहनाने के लिए हाथ आगे बढ़ाए. दूल्हे के साथियों ने दूल्हे को खींचकर पीछे कर लिया. बजने के लिए तैयार सबकी तालियां अकस्मात मौन हो गईं. जयमाल पीताम्बर के बदले नीलाम्बर के गले में पड़ चुकी थी. पीताम्बर ने इसे नियति का संकेत मानकर अपनी पगड़ी नीलाम्बर को पहना दी और दोनों के फेरे करवाए. दिमाग पर दिल की जीत हो चुकी थी. इसके साथ ही तीन जिंदगियां बरबाद होने से बच गईं, अन्यथा उनको जिंदगी ढोनी पड़ती.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “नियति का संकेत

  • लीला तिवानी

    दिल-दिमाग की लड़ाई में समझा नियति का संकेत, तीन जिंदगियां बरबाद होने से बच गईं, लघुकथा

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