बढ़ते चल।
मानव अपनी पीड़ा खुद व्यक्त करता है जिंदगी में ठोकर खाकर आगे बढ़ता है मत घबरा इतना शांत चले
Read Moreप्यार की हर बात से महरूम हो गए आज हम दर्द की खुशबु भी देखो आ रही है फूल से
Read Moreआधुनिक वैज्ञानिक तकनीक ने हमें बहुत-सी सुविधाएं दी हैं, लेकिन जब हम उन सुविधाओं का दुरुपयोग करते हैं, तो हमें
Read Moreसभी सिपाही हैं लेकिन , सब रखते हैं तलवार नहीं कलम हाथ रखकर भी लड़ते इससे है इनकार नहीं बिना
Read Moreतुम चाहते हो कि हरेक आंगन तक गुनगुनी धूप पहुंचे ताकि कोई ठिठुरती सर्दी में न कंपकंपाये तुम चाहते हो
Read Moreसंकट के बादल गहराये , ताप धरा का बढ़ता जाये ! हलचल ऐसी उहापोह है , मौसम धुंआ धुंआ
Read Moreरामू खेलकर घर में आया, देखा नल को बहता उसने, सोचा ममी बंद करेंगी, नल को बंद किया ना उसने.
Read Moreहो सके तो कर समर्पण आज अपने आप को। कर सका क्या मन प्रत्यर्पण पूछ अपने आप को। आ नहीं
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