कविता

राजनीति के खेल निराले 

राजनीति के देखो भाई
खेल निराले होते हैं
धर्म मजहब में बाट दिया
और फील गुड कराने लगते हैं 
नौकरी का करके वादा
वोट मांगने आते है
राजनीति एक व्यापार बन गया
सेवा भाव दिखाने आते है
गरीबी हटाओं का नारा देकर
गरीब हटाने आते है
बेटी बचाओं बेटी पढाओं
का नारा देकर
बेटियो की अस्समत लूटने आते हैं
चाहे कोई हो राजनीति में
अपनी किस्मत आजमाने आते हैं
हर जगह है भ्रृष्टाचार का बोलबाला
कहते हैं भ्रष्टाचार मिटाने आते है
राजनीति के देखो भाई
खेल निराले होते है

गरिमा 

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384