कविता

हिंदी भाषा प्यारी है

हिंदी भाषा प्यारी है,
महिमा इसकी न्यारी है ||
सुर-तालों से सजी हुई,
रस-छंदों से मंझी हुई ||
भारत भू की शान हिंदी,
हमारी अमिट पहचान हिंदी ||
शुध्द – सरल अतिभारी,
सुभाष-भगत की दुलारी ||
ऋषि-मुनियों की अमृत वाणी,
संस्कृत जननी की अमर कहानी ||
कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैली,
बनी हिंद के माथे की चंदन-रोली ||
हिंदी अपनी पहचान है,
सब जन मिल करो सम्मान है ||
हिंदी भाषा प्यारी है,
महिमा इसकी न्यारी है ||

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111