गीतिका/ग़ज़ल

तहे दिल से उसूलों की हिफ़ाजत ख़ूब की होगी…

तहे दिल से उसूलों की हिफ़ाजत ख़ूब की होगी
तुम्हारा दर्द कहता है मुहब्बत ख़ूब की होगी

मिली है मुफ़लिसी जिसको हुनरमंदी के बावाजूद
मियाँ उसने बुराई से बग़ावत ख़ूब की होगी

जिसे तूफ़ान में भी मिल गया साहिल सदा उसने
दिलो जां से ख़ुदा तेरी इबादत ख़ूब की होगी

किसी का दिल अचानक ही किसे हमराह करता है
मिली होगी नज़र ने फिर शरारत ख़ूब की होगी

कली जो फूल बनकर खिल रही आज गुलशन में
यक़ीनन ख़ार ने इसकी हिफ़ाजत ख़ूब की होगी

अलग है बात की वो बात ही समझे नही वरना
नमी ने आँख की उनसे शिकायत ख़ूब की होगी

बताता है तुम्हारी कामयाबी का सफ़र हमको
ज़माने ने कभी तुमसे अदावत खूब की होगी

सतीश बंसल
०३.०६.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.