कविता

कलम की व्यथा

आँखे छुपा लू कैसे ।
मुझे सब दिखता है ।।
आईने की तस्वीर के पीछे क्या है
मुझे सब दिखता है ।।
क्यों रोती है माँ ।
मुझे सब दिखता है ।।
क्यों अकेले में पिता रोता है ।
मुझे सब दिखता है ।।
नजर बचाकर बेटा सोता है कमरे में ।
मुझे सब दिखता है ।।
क्यों बेटी रोती है ससुराल में ।
मुझे सब दिखता है ।।
सब देख देख कर मेरा दिल है दुखी ।
कहाँ ये किसी को दिखता है ।।
आँखे छुपा लूं कैसे ।
मुझे सब दिखता है ।।

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- neerajtya@yahoo.in एवं neerajtyagi262@gmail.com ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)