बाल कविता

अभिलाषा

छोटे-छोटे बालक हैं हम,
काम मगर करते हैं महान,
मत समझो कमजोर हमें तुम,
साहस में ही अपनी शान.

आंधी-पानी-तूफानों से,
डर जाएं जो हम वो नहीं,
बाधाएं कितनी भी आएं,
हमको उनका गम है नहीं.

नदियां हों या पर्वत-खाई,
हमें डरा नहीं पाएंगे,
ताकत के पुतले बनकर हम,
आगे बढ़ते जाएंगे.

हम हैं अपने देश की आशा,
प्रेम-प्यार है अपनी भाषा,
दुखीजनों के शूल हटाएं,
यह ही है अपनी अभिलाषा.

हममें से थे भगत-हकीकत,
हममें से थे वीर शिवा,
गांधी-नेहरू-तिलक-गोखले,
जो थे देश के स्वप्न दिवा.

आजादी के हम सैनिक थे,
अब आजाद देश के वासी,
आजादी अक्षुण्ण रखने को,
तन-मन-धन से हम हैं प्रयासी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “अभिलाषा

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी रचना, बहिन जी !

    • लीला तिवानी

      प्रिय विजय भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको बाल गीत बहुत अच्छा लगा. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    छोटे बच्चों की छोटी-सी अभिलाषा-

    भारत मां हम बालक तेरे,
    सेवा का संकल्प लिया है,
    संकल्प से सिद्धि मिलती है,
    इस पथ का अनुसरण किया है.

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