राजनीति

विश्व कल्याण की योग-कामना

संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने जिस ऐतिहासिक समर्थन से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को स्वीकार किया था, वह राष्ट्रीय गौरव का विषय था। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भारत की महान धरोहर के प्रति विश्व की सहमति है। विश्व में  योग लगातार लोकप्रिय हो रहा है। लोगों को इसमें अपना हित नजर आ रहा है। अमेरिका , यूरोप सहित अनेक इस्लामी देशों में भी योग करने वालों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन हमारे ही देश में विपक्षी पार्टियां न केवल इससे दूर रहती है , बल्कि मजाक भी बनाती है।  फिर भी यह सन्तोष का विषय है कि आम लोगों में इस गौरवशाली दिन को लेकर उत्साह रहता है। पूरे विश्व में योग दिवस का माहौल दिखाई देता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक में इसे लेकर उत्साह रहता है। यह एक दिन का उत्सव मात्र नहीं है , बल्कि इसे प्रतिदिन दिनचर्या में शामिल करने की प्रेरणा भी मिलती है। 
भारत ने केवल विश्व कल्याण का उद्घोष ही नहीं किया था, बल्कि उसके अमल की राह भी दिखाई थी। इसी ने भारत को विश्व गुरु के रूप में प्रतिष्ठित किया था। योग में भी मानव कल्याण का विचार समाहित है। यह शरीर के साथ ही मन को संतुलित करता है। नकारात्मक चिंतन शरीर के साथ ही समाज को भी उद्देलित करते है,अराजकता फैलाते है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग को मानवता के लिए धरोहर बताया था। उनके विचारों पर विश्व समुदाय ने ध्यान दिया था। मोदीं का कहना था कि योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है।  यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है। विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। योग के प्रवर्तन की मूलभावना भी यही थी। पतंजलि के अनुसार  योगश्चित्तवृतिनिरोध अर्थात पतंजलि के अनुसार चित की वृतियों का निरोध ही योग कहलाता है।वेदांत के अनुसार आत्मा का परमात्मा से पूर्ण रूप से मिलन होना ही योग कहलाता है। तत्कालीन भारतीय राजदूत अशोक मुखर्जी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में रखा था, जिसे दुनिया के एक सौ पच्छत्तर देशों ने  सह  प्रस्तावित किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभ में किसी भी प्रस्ताव को इतनी बड़ी संख्या में मिला समर्थन अभूतपूर्व था। भारत के प्रताव पर एक रिकॉर्ड बन गया।इससे पहले किसी भी प्रस्ताव को इतने देशों का समर्थन नहीं मिला था। पहली बार किसी देश का प्रस्तव महासभा ने मात्र तीन महीने में पारित कर दिया था।
इक्कीस जून को ग्रीष्म संक्रांति होती है। इस दिन सूर्य धरती की दृष्टि से उत्तर से दक्षिण की ओर चलना शुरू करता है. यानी सूर्य जो अब तक उत्तरी गोलार्ध के सामने था, अब दक्षिणी गोलार्ध की तरफ बढ़ना शुरू हो जाता है। योग के नजरिए से यह समय संक्रमण काल होता है, यानी रूपांतरण के लिए बेहतर समय होता।
           उत्तर प्रदेश के राज्यपाल  राम नाईक योग दिवस की महिमा  समझते है।  इसीलिए उन्होंने राजभवन में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन कराया। उत्तर प्रदेश के राजभवन में राज्यपाल राम नाईक ने गत वर्ष भी योग अभ्यास का आयोजन किया था। ऐसा आयोजन करने वाला यह देश का पहला राजभवन था। लेकिन यह कार्यक्रम योग दिवस से पहले हुआ था। क्योंकि योग दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी को लखनऊ के मुख्य आयोजन में शामिल होना था। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से पहले उत्तर प्रदेश सरकार लोगों में योग के प्रति जागरुकता लाने का प्रयास किया था। योगाभ्यास कार्यक्रम में रामदेव ने सभी को योग आसनों का अभ्यास कराया था। उसमें  योगाचार्य चिन्मय पाण्ड्या भी शामिल हुए थे। इस बार भी उन्नीस जून को राजभवन में योग का पूर्वाभ्यास किया गया।जिसमें पंतजलि, गायत्री परिवार,  प्राकृतिक चिकित्सा के शिक्षक, भारतीय योग संस्थान, नेशनल कैडेट कोर, सीमा सुरक्षा बल, तिब्बत सीमा सुरक्षा बल आदि संस्थानों के लोग शामिल हुये। योगाभ्यास कार्यक्रम में दिव्यांग योग साधकों सहित पांच से सात वर्ष के बच्चों ने भी योग अभ्यास किया।
इक्कीस जून के मुख्य समारोह के दौरान राजभवन में उत्सव का माहौल था।  राज्यपाल राम नाईक ने बताया कि राजभवन में योग दिवस आयोजित कराने का आग्रह उन्होंने मुख्यमंत्री से किया था। राम नाईक ने अपना अनुभव भी साझा किया। बताया कि विद्यार्थी जीवन मे कक्षा एक से लेकर कक्षा बारह  तक वह जिस विद्यालय में पढ़ते थे , वहां प्रतिदिन बीस सूर्य नमस्कार कराए जाते थे। यह उनके जीवन का अंग बन गया।  योग से ही चरैवेति चरैवेति की प्रेरणा मिलती है। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ स्वयं  प्रतिष्ठित योगी है। वह नाथ संप्रदाय का  प्रतिनिधित्त्व करते है, इस महान विरासत को आगे बढ़ा रहे है। उन्होंने भी  अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को  राष्ट्रीय गौरव के अनुरूप उत्सव का रूप दिया। मुख्यमंत्री ने आयुष मंत्रालय में योग आयुष का गठन किया था। इसी मंत्रालय ने योग दिवस को व्यापक रूप में मनाने की।व्यवस्था की थी।  मुख्यमंत्री ने इसके लिए राज्यपाल से राजभवन में योग महोत्सव आयोजित करने को कहा था, राज्यपाल ने इसे स्वीकार किया।
योगी आदित्यनाथ ने योग के संबन्ध में शास्त्रों के अनुरूप  जानकारी दी । संस्कृत के श्लोक का उल्लेख किया। उसकी व्याख्या की।  गृहमंत्री  राजनाथ सिंह ने कहा कि योग को मजहबी रूप में देखना गलत है। पैंतालीस इस्लामी मुल्कों के साथ आज पूरे विश्व में  योग किया जा रहा है। अमेरिका में करोड़ों लोगों की जीवन शैली में योग शामिल  शामिल हो गया है। राजनाथ सिंह ने ठीक कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व कूटनीति में  सांस्कृतिक तत्व को बेजोड़ अंदाज में शामिल किया है। गतवर्ष योग गुरु स्वामी रामदेव ने अभ्यास वर्ग में योग कराया था। इस बार उनके लखनऊ के प्रशिक्षक ने योग अभ्यास कराया।  राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह , उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा , प्रदेश के आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी सहित बड़ी संख्या में लोगो ने राजभवन में योग अभ्यास किया।

— डॉ दिलीप अग्निहोत्री

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

लखनऊ मो.- 9450126141