कविता

कविता

जाने कैसे आ जाता है
कलियों के अन्दर मकरन्द
आती कैसे है फूलों में
सुन्दर मोहक मधुर सुगंध
नित्य भोर में प्यारी कोयल
क्यूँ बागों में जाती है
जाकर वह मीठी बोली से
सबका दिल बहलाती है
प्रातः नित गंगाजल में क्यों
लोग नहाने जाते हैं
नहा नहाकर जल ले लेकर
बाबा को नहलाते हैं
कभी किसी के आने पर क्यूँ
दिल से दिल मिल जाता है
क्यों पाकर उसका आलिंगन
नव यौवन खिल जाता है
इन जैसे प्रश्नों के उत्तर
जब भी हम पा जायेंगे
वही भाव प्रेरक बन हमको
मंजिल तक ले जायेंगे।

शशि कान्त त्रिपाठी 

शशि कान्त त्रिपाठी

इलाहाबाद बैंक से मुख्य प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त वाराणसी मो 96483087788 पता - गोपाल भवन सर्वेश्वरीनगर कालोनी तिलमापुर आशापुर वाराणसी २२१००७