कविता

कविता – अंतर्द्वंद्व

कभी राह दुर्गम धोखा  सा बनाती है

भर पथ में पाहन खड्डे से बताती है.

मिला जो वाट हर पल बैरी डराते है

उसकी  चालें अपनों में अंकुश सुनाती है.

जिसे कुदरत सिखाती है जमी का होना

बन चाह खुद बढ़ पंखा लिये हिलाती है.
जिंदगी कुछ पल जीना अंतर्द्वंद्व पाती है

कोमल और कठोर घात प्रतिपल पाती है.

यूँ सभी तो है किसी ना किसी सरोकार मे,
फिर झूठा क्यो होता है सदाचार भुलाती है.

रेखा मोहन २२/६/१८

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल chandigarhemployed@gmail.com